Biography of waheeda rehman in hindi

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वहीदा रहमान

वहीदा रहमान (जन्म: ३ फरवरी, 1938) हिन्दी फिल्मों की एक अभिनेत्री हैं, जो मुख्य रूप से हिन्दी फिल्मों, साथ ही तेलुगु, तमिल और बंगाली फिल्मों में दिखाई दी है। वह 1950, 1960 और 1970 के दशक की शुरुआत तक फिल्मों की विभिन्न शैलियों में अपने योगदान के लिए जानी जाती हैं।[4] उन्हें अपने पूरे करियर में, फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए दो फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुके हैं।

प्रारंभिक जीवन

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वहीदा रहमान का जन्म भारत के तमिलनाडु के चेंगलपट्टू में मुस्लिम परिवार में हुआ था। उन्होंने और उसकी बहन ने चेन्नई में भरतनाट्यम सीखा। जब वह किशोरावस्था में थी, उनके जिला आयुक्त पिता की मृत्यु हो गई थी। सबसे पहले उन्होंने 1955 में तेलुगू फिल्मों से शुरुआत की थी। फिर कुछ तमिल फिल्मों में भी उन्होंने काम किया।

करियर

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हिन्दी फिल्म में उनकी पहली उपस्थिति सी आई डी (1956) में हुई थी।[5] बाद में, उन्हें प्यासा (1957), 12 ओ'क्लॉक (1958), कागज़ के फूल (1959), साहिब बीबी और ग़ुलाम और चौदहवीं का चाँद (1961) सहित कई सफल फिल्मों में देखा गया। उनकी अन्य उल्लेखनीय फिल्मों में सोलवाँ साल (1958), बात एक रात की (1962), कोहरा (1964), बीस साल बाद (1962), गाइड (1965), मुझे जीने दो (1963), तीसरी कसम (1966), नील कमल (1968) और ख़ामोशी (1969) शामिल हैं।

उनका करियर 1960, 1970 और 1980 के दशक तक जारी रहा। उन्होंने गाइड (1965) में अपनी भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। यहाँ वह अपने करियर के शिखर पर पहुँची। उन्होंने नील कमल (1968) के लिये भी ये पुरस्कार जीता।[6] लेकिन बाद की फिल्मों में उत्कृष्ट अभिनय के बावजूद जिसमें रेशमा और शेरा (1971) के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार जीतना शामिल रहा, उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल रहीं।

सत्तर के दशक के मध्य से, मुख्य हीरोइन के रूप में वहीदा का करियर समाप्त हो गया और चरित्र अभिनेत्री के रूप में उनका करियर शुरू हुआ। लम्हे (1991) में अपनी उपस्थिति के बाद, उन्होंने 12 साल के लिए फिल्म उद्योग से संन्यास ले लिया।

प्रमुख फिल्में

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नामांकन और पुरस्कार

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सन्दर्भ

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बाहरी कड़ियाँ

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वर्ष 2021का दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया